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मेआयी को मूरा
मेआयी को मूरा दोस्तों मेआयी का मतलब may i नहीं है और मैं आई भी नहीं है मूरा का मतलब यहाँ मूली बिलकुल भी नहीं हैं मेरे कहने का मतलब अपने बुंदेलखंड मैं ये कहावत बहुत प्रचलित है अब कोई व्यक्ति कभी फ्री बैठा हो और कोई अन्य व्यक्ति कही साथ जाने की बात करे और फ्री बैठा व्यक्ति जाने के लिए मना कर दे या किसी काम के लिए मना कर दे तो लोग कहते है कि कुन तुम ईते बैठे मेआयी को मूरा या साध रये | इस कहावत का मतलब यहाँ से निकलकर आता है की मेआयी --गांव मैं कच्चे मकानों, जिनकी छत खपरैल से ढकी होती है , उस छत को नीचे से सपोर्ट देने के लिए होती है और यदि वो टूट जाती है तो उसे गिरने से कोई नहीं रोक सकता है मतलब खपरैल का बजन ज्यादा होता है मूरा का मतलब यहाँ मेआयी का एक सिरा होता है जो भारी होता है जय बुंदेलखंड जय भारत by -
पैसा न ढेला रायपुर को मेला
पैसा न ढेला रायपुर को मेला पैसा न ढेला रायपुर को मेला एक बार क्या हुआ मैं एक गांव मैं काम के दौरान गया तो एक दादा जी अपने घर मैं जोर जोर से हल्ला कर रहे है मैंने सोचा पता नहीं का हो गया जैसे घर के नजदीक गए तो देखा दादी अम्मा घर से रोती हुई बाहर आई | मैं पूंछ तो नहीं सकता था कि अम्मा का हो गए ,, मैं बापस आने लगा तो एक आदमी मेरे पीछे खड़ा था मैंने उससे पूंछा की भाई का हो गया तो आदमी ने जबाब दिए पैसा न ढेला रायपुर का मेला। दिमाग घूम गए आखिर का कह रहा है मैंने आदमी की ओर देखता रह गए मैंने सोचा GOOGLE सर्च कर लेते है सर्च किआ तो आ या DID NOT MATCH AN DOCUMENT इतने मैं देखा की वो आदमी पास के पेड़ के नीचे एक चबूतरे पर बैठकर बीड़ी पी रहा है मैं फिर से उसके पास गया और पूछा भाई बताओ की इस कहाबत का मतलब का है तो आदमी बोला पैसा का
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